श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
This Mantra is penned in the shape of a discussion concerning a Expert and his disciple. This Mantra is understood being The main element to some peaceful point out of brain.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
नमस्ते शुंभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
अगर किसी more info विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।
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